मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ पर मेरे अन्तःकरण में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो कभी तो आत्ममंथन करती हैं और कभी शब्दों में ढलकर रचनाओं का रूप ले लेती हैं। वही सब आपके साथ बाँटना चाहूँगी।
1 comment:
i take the pleasure to
do it now
what shaould have been done
much earlier..(around deepawali)
I RECIPROCATE FOR THE SAME
'daanish' bhaarti
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