अनेक खूबिया बहुत खूबियां हैं आपकी पेन्टिग में.......जितनी तारीफ की जाए कम है। होली की बधाई......इस अवसर पर प्रकृति भी उल्लास से सराबोर है.....उसका एक रूप इस रचना में देखिए....-डॉ० डंडा लखनवी !
नेचर का देखो फैशन शो
-डॉ० डंडा लखनवी
क्या फागुन की फगुनाई है। हर तरफ प्रकृति बौराई है।। संपूर्ण में सृष्टि मादकता - हो रही फिरी सप्लाई है।।1
धरती पर नूतन वर्दी है। ख़ामोश हो गई सर्दी है।। भौरों की देखो खाट खाड़ी- कलियों में गुण्डागर्दी है।।2
एनीमल करते ताक -झाक। चल रहा वनों में कैटवाक।। नेचर का देखो फैशन शो- माडलिंग कर रहे हैं पिकाक।।3
मनहूसी मटियामेट लगे। खच्चर भी अपटूडेट लगे।। फागुन में काला कौआ भी- सीनियर एडवोकेट लगे।।4
इस जेन्टिलमेन से आप मिलो। एक ही टाँग पर जाता सो ।। पहने रहता है धवल कोट- ये बगुला या सी0एम0ओ0।।5
इस ऋतु में नित चैराहों पर। पैंनाता सीघों को आकर।। उसको मत कहिए साँड आप- फागुन में वही पुलिस अफसर।।6
गालों में भरे गिलौरे हैं। पड़ते इन पर ‘लव’ दौरे हैं।। देखो तो इनका उभय रूप- छिन में कवि, छिन में भौंरे हैं।।7
जय हो कविता कालिंदी की। जय रंग-रंगीली बिंदी की।। मेकॅप में वाह तितलियाँ भी- लगतीं कवयित्री हिंदी की।8
वो साड़ी में थी हरी - हरी। रसभरी रसों से भरी- भरी।। नैनों से डाका डाल गई- बंदूक दग गई धरी - धरी।।9
ये मौसम की अंगड़ाई है। मक्खी तक बटरफलाई है ।। धोषणा कर रहे गधे भी सुनो- इंसान हमारा भाई है।।10
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ पर मेरे अन्तःकरण में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो कभी तो आत्ममंथन करती हैं और कभी शब्दों में ढलकर रचनाओं का रूप ले लेती हैं। वही सब आपके साथ बाँटना चाहूँगी।
26 comments:
sundar painting, Dr, Bhawna Ji kya aapke pas Birds kee paintings hain, main dekhna chaunga,
29.rakesh@gmail.com
पेंटिंग की बहुत समझ नही है लेकिन फ़िर भी अच्छी लगी सो टिप्पणी कर रहा हू. बधाई
इतनी समझ तो नहीं आई पर फ़िर भी अच्छी लगी. आगे और पेंटिंग्स का इंतज़ार रहेगा.
इस ब्लॉग की तो बेहतरीन सज्जा की गई है और उस पर से लाजबाब पेन्टिंग चार चांद लगा रही है, बहुत उम्दा. और लाईये पेन्टिंगस.
sundar painting.badhai ho.
बढिया जी बनाती रहे और हमे भी सिखाये की कैसे बनाये
beautifulll...amazing...
creation is very difficult but review/comments r very simple. just think, create n GAYEEEE CHALAAA JAAAAAAAAA
दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं...
Thats Great Owsam
visit my site
www.discobhangra.com
great art work too
regards
bahut achchhi panting hai.badhai.
Respected Bhawanaji,
Meree kavita kee tareef ke liye thanks.Ap likhne ke sath hee paintings bhee bahut sunar banatee hain..Meree shubhkamnaen.
Poonam
what a creativity....behad khubsurat...sundar bhavo ko sajaya he aapne rango ki kehfil se...regards
awesome, simply awesome..congrats
thanks for your Holi greetings friend, do stay connected
dropped in to check the next post, leaving by just saying Hiiiiiiii
मनोहारी .
इसमेँ विवरण भी देँ तो शायद और अच्छा रहे
डॉ.भावना।
आपके नाम के अनुरूप ही आपके चित्र हैं।
कला, कल्पना और भावनाओं का संगम
मनमोहक बन पडा है।
बधाई।
बहुत बढ़िया भावना जी, मेरी बधाई स्वीकारें।अब आप के ब्लॉग पर आना-जाना लगा रहेगा।- सुशील कुमार। (sk.dumka@gmail.com)
भावना को
कामना के रंग ले
आकार देकर
रच रही हो
सृष्टि नव तुम.
काबिले-तारीफ है यह.
behtarin art....just beautiful...keep it up
हम थोड़े रंगों की भाषा समझने में कमजोर हैं....... लेकिन आपकी ये कृति पसंद आई..........
अनेक खूबिया बहुत खूबियां हैं आपकी पेन्टिग में.......जितनी तारीफ की जाए कम है। होली की बधाई......इस अवसर पर प्रकृति भी उल्लास से सराबोर है.....उसका एक रूप इस रचना में देखिए....-डॉ० डंडा लखनवी !
नेचर का देखो फैशन शो
-डॉ० डंडा लखनवी
क्या फागुन की फगुनाई है।
हर तरफ प्रकृति बौराई है।।
संपूर्ण में सृष्टि मादकता -
हो रही फिरी सप्लाई है।।1
धरती पर नूतन वर्दी है।
ख़ामोश हो गई सर्दी है।।
भौरों की देखो खाट खाड़ी-
कलियों में गुण्डागर्दी है।।2
एनीमल करते ताक -झाक।
चल रहा वनों में कैटवाक।।
नेचर का देखो फैशन शो-
माडलिंग कर रहे हैं पिकाक।।3
मनहूसी मटियामेट लगे।
खच्चर भी अपटूडेट लगे।।
फागुन में काला कौआ भी-
सीनियर एडवोकेट लगे।।4
इस जेन्टिलमेन से आप मिलो।
एक ही टाँग पर जाता सो ।।
पहने रहता है धवल कोट-
ये बगुला या सी0एम0ओ0।।5
इस ऋतु में नित चैराहों पर।
पैंनाता सीघों को आकर।।
उसको मत कहिए साँड आप-
फागुन में वही पुलिस अफसर।।6
गालों में भरे गिलौरे हैं।
पड़ते इन पर ‘लव’ दौरे हैं।।
देखो तो इनका उभय रूप-
छिन में कवि, छिन में भौंरे हैं।।7
जय हो कविता कालिंदी की।
जय रंग-रंगीली बिंदी की।।
मेकॅप में वाह तितलियाँ भी-
लगतीं कवयित्री हिंदी की।8
वो साड़ी में थी हरी - हरी।
रसभरी रसों से भरी- भरी।।
नैनों से डाका डाल गई-
बंदूक दग गई धरी - धरी।।9
ये मौसम की अंगड़ाई है।
मक्खी तक बटरफलाई है ।।
धोषणा कर रहे गधे भी सुनो-
इंसान हमारा भाई है।।10
सचलभाष-0936069753
aap ke mun me kavi ke saath ek sundar kalakar bhi hai bahut badhai
Very nice painting! Congrats
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