मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूँ पर मेरे अन्तःकरण में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो कभी तो आत्ममंथन करती हैं और कभी शब्दों में ढलकर रचनाओं का रूप ले लेती हैं। वही सब आपके साथ बाँटना चाहूँगी।
2 comments:
no doubt your presentation contains Un-Ending Creativity.
CONGRATS....KEEP IT UP.
BEST WISHES
DR.CHANDRAKUMAR JAIN
bahut hee sundar.... pahli bar aapke blog ko dekha..man khush ho gaya..kabhi hamare blog par aane ka kast kare..vijayanama.blogspot.com
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